Tuesday, July 26, 2011

“बाबू जी- मेरे साथ बलात्कार कर लीजिए”

दुनिया में हम सबसे बड़े लोकतंत्र का झंडा उठाये घूम रहे हैं। हमारी ताकत के आगे चीन और पकिस्तान को छोड़कर हमारे इर्द-गिर्द बसे बाकी तमाम मुल्कों की सल्तनत के छक्के छूटते हैं। हम परमाणु-ताकत रखते हैं। दुनिया की सुपर-पॉवर अमेरिका भी हमारी ताकत का गाहे-बगाहे, काल-पात्र-समय का ध्यान रखकर तारीफ कर ही देती है। हमारे सत्ता शीर्षों को आत्म-संतोष के लिए भला इससे ज्यादा चाहिए भी क्या? अमेरिका ने तारीफ कर दी। हमारी सरकार फूलकर गोल-गप्पा हो गयी। भले ही हमारा पड़ोसी देश चीन और दो कोडी की औकात नहीं जिस मुल्क की वो पकिस्तान , हमारी छाती पर मूंग दलता हो जरा सोचिये। दुनिया के इतने ताकतवर देश में बलात्कार की कीमत तय कर दी जाये। तो इसे क्या कहेंगे। लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा, या फिर सरकारी तंत्र में बढ़ती नपुंसकता का इशारा? जो भी समझ लीजिए।
हमारा देश लोकतांत्रिक देश है। यहां किसी के सोचने पर पाबंदी नहीं लगाई जाती। सोचने की आजादी सबको है। चाहे मनमोहन सिंह, सोनिया, कपिल सिब्बल हों। चाहे दिल्ली में आई टी ओ की लालबत्ती पर कटोरा लेकर भीख मांगने वाला, फटे कपड़ों में मई-जून की गर्मी में पसीने से चुचुहाती, सड़क पर काम करती गरीब महिला। अपने हिसाब से सोचने के लिए सब फ्री हैं। क्योंकि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। खबरों के मुताबिक पिछले दिनों केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक जबाब दाखिल किया है। इस जबाब में सरकारी हुक्मरानों ने जो लिखा है, आप भी पढ़ लीजिए :
"देश में बलात्कार पीड़िता को अधिकतम तीन लाख रुपये मुआवजा दिये जाने की स्कीम को अंतिम रुप दे दिया गया है। इसके लिए देश भर में डिस्ट्रिक्ट क्रिमिनल इंज्यूरी रिलीफ एंड रिहेबिलेशन बोर्ड बनेगा। जिला स्तर पर इस बोर्ड के चेयरमैन जिलाधिकारी (डीएम) होंगे। जिले के एसपी यानि पुलिस-अधीक्षक, सिविल-सर्जन, चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी, इस बोर्ड के सदस्य होंगे। इस जिला स्तर के बोर्ड की निगरानी के लिए राज्य स्तर का भी एक बोर्ड बनेगा। स्कीम के तहत थाने का एसएचओ 72 घंटे के भीतर बलात्कार की घटना की प्राथमिक जांच रिपोर्ट जिला बोर्ड के हवाले करेगा। इस रिपोर्ट के आधार पर जिला स्तरीय बोर्ड, बलात्कार पीड़िता को 20 हजार से 50 हजार रुपये का भुगतान करायेगा। अदालत में बयान दर्ज होने के बाद पीड़िता को 2 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिये जायेंगे। अगर बयान दर्ज नहीं हुआ और केस साल भर से लंबित (पेंडिंग)पड़ा है, तो भी बलात्कार पीड़िता को 2 लाख का मुआवजा पाने का ह़क होगा। विशेष परिस्थितियों में ये रकम 3 लाख भी हो सकती है। बलात्कार के बाद अगर पीड़िता को एड्स की बीमारी हो जाये, पीड़िता नाबालिग या मानसिक रुप से कमजोर हो या बलात्कार के बाद वो गर्भवती हो गयी हो, तो भी मुआवजे की राशि 3 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी। ये मुआवजा राशि अदालत द्वारा किये जाने वाले जुर्माने से अलग होगी। "
ऊपर लिखी बाते पढ़ने के बाद भी क्या कोई सवाल या किसी सवाल के जबाब की चाहत बची है? मेरे हिसाब से तो नहीं। सब-कुछ साफ है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जिसके साथ बलात्कार होगा, उसे अब न्याय नहीं मुआवजा मिलेगा। क्योंकी हमारे कानून ऐसे है जिसका लाभ पीड़ित को कम अपराधी को ज्यादा मिलता है, कानून एक होता है पर उसकी व्याख्याए उतनी होती है जितने इस देश में वकीलअब तक रेल, हवाई-जहाज, सड़क हादसा, भूकम्प, अग्निकांड में मरने वालों को मुआवजा मिलता था। देखा या भोगा तो कभी नहीं, लेकिन सुना अक्सर है, कि बलात्कार पीड़िता एकदम तो मरती नहीं जब तक जीती है, रोज तिल-तिलकर हर-लम्हा मरती है। लेकिन अब उसे जीते-जी ही “बलात्कार का मुआवजा” मिलेगा । ये कभी नहीं देखा-सुना था। बताईये! कितनी हर्ष की बात है ना! हमें-आपको ये बलात्कार का बाजिब मुआवजा लेने-देने, देखने-सुनने में बुरा लग सकता है। सरकार को भला इस सबसे क्या लेना-देना! बलात्कार सरकार का तो होता नहीं है। बलात्कार तो औरत-लड़की और छोटी बच्चीयो का होता है। जब बलात्कार लड़की-औरत और छोटी बच्चीयो का हो रहा है, तो फिर दर्द सरकार को क्यों हो? सरकार तो “सरकार” है। कोई मेरी-आपकी तरह हाड़-मांस का चलता-फिरता पुतला तो हैं नहीं, जो दर्द होगा। सरकार तो कागज और फाइलों पर चलती है। भला कागज और फाइल के कैसा दर्द? अब सरकार को ही कोसने से भला क्या हासिल होने वाला है? बलात्कार का मुआवजा तय करने पर।

दो वक्त की रोटी के लिए, जिस देश में एक-दूसरे के खून के प्यासे हों। रिश्तों को तार-तार किया जा रहा हो। पेट की भूख शांत करने के लिए, जिस देश में मां 50 रुपये में जिगर के टुकड़े को बेच देती हो। गरीबी और पेट की खातिर। जिस देश में बेटी की इज्जत देहरी पर पहरेदारी करके खुद मां, नीलाम कराने को मजबूर हो। उस देश में अगर बलात्कार का मुआवजा 20 हजार से 3 लाख तक का सरकार खुद दिलवा रही हैं। तो इससे ज्यादा सहयोगी या मददगार, गरीबों की मसीहा सरकार भला कहां मिलेगी! इस स्कीम को सरकार का अहसान मानना चाहिए! देश की उन गरीब औरत-लड़की को, जो गरीबी के चलते पेट की भूख शांत करने के लिए, अपनी इज्जत का सौदा करने के लिए मजबूर हैं। चंद रुपयों में ।अहसान इसलिए कि, अब तक बलात्कार तो होता था, लेकिन ना न्याय मिलता था ना मुआवजा मिलता था। मुआवजा तो तब भी नहीं मिलना क्योंकी उप्पर से लेकर चपरासी तक बटने के बाद जो हाथ में आएगा उसके बारे में बोलना अभी जल्दबाजी होगी एक नए घोटाले के लिए भी रास्ता बनेगा अभी कल ही एनडीटीवी पर रविश जी बता रहे थे की राजस्थान के अस्पतालों में मुआवजे के लालच में पुरुषो का भी गर्वपाथ दिखा दिया उम्मीद है कि, वो दिन अब दूर नहीं होगा, जब गरीबी और भुखमरी से निपटने के लिए औरत-लड़की शर्म-लिहाज छोड़कर, खुद ही सड़क चलते कहने लगेंगी- “बाबू जी- मेरे साथ बलात्कार कर लीजिए।” बलात्कार का बाजिव ह़क यानि 20 हजार से 3 लाख तक का मुआवजा पाने के लिए। चलिये दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में किसी को तो याद आयी। बलात्कार का बाजिव ह़क दिलाने की बात। इस नेक कार्य के लिए धन्यवाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का !



6 comments:

  1. दर्द या दुख की कीमत तय करने का काम, इससे क्या इंसाफ़ मिल जायेगा

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  2. Hamara samaaj hi Bhrashth hai, isliye jab tak samaaj nahi sudhrega, kisi bhi yojna ka durupyog hamesha hi hoga... Lekin is tarah ke prayaas halanki vyavaharik nahi lagte, parantu isse un begunaah yuvtiyon ko madad avashy mil sakti hai, jo kisi aur ke gunaah ka bojh apne shareer mein liye jeene ko majboor ho jaati hain...Hamara samaaj hi Bhrashth hai, isliye jab tak samaaj nahi sudhrega, kisi bhi yojna ka durupyog hamesha hi hoga... Lekin is tarah ke prayaas halanki vyavaharik nahi lagte, parantu isse un begunaah yuvtiyon ko madad avashy mil sakti hai, jo kisi aur ke gunaah ka bojh apne shareer mein liye jeene ko majboor ho jaati hain...

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  3. कितना कड़वा सच लिखा है ... जज्बात का खून और पैसे में चुकाना ...

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  4. teekha aur karara likha hai...aabhaar..

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  5. anilji bahut dukh hua mujhe ye sab padkar......ye sarkar nahi chhutta saand hai....aur chhutte saand ko rokna mushkil hai

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